तृतीया तिथि को जब लोग अक्षय तृतीया भी मना रहे होते हैं इस दिन सबको सुबह ब्रह्ममुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए नहीं तो थोड़ा सा गंगाजल पानी में मिलाकर उससे स्नान घर पर ही कर लें.
उसके बाद पवित्र होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दौरान साफ सुथरी और पवित्र स्थान पर भगवान परशुराम की प्रतिमा का स्थापित करना चाहिए.
परशुराम जयंती इस साल 3 मई को मनायी जाएगी. मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार परशुराम आज भी जीवित हैं.
कहा जाता है कि परशुराम जन्म से ही ब्राह्मण थे और उनमे सारे के सारे गुण क्षत्रियों के थे. कथाओं की मानें तो अपनी पिता की हत्या का बदला लेने के लिए परशुराम ने 17 बार धरती को क्षत्रियों से विहिन कर दिया था.
पौराणिक कथाओं की मानें तो महर्षि भृगु के पुत्र का नाम ऋचिक था जिनका विवाह सत्यवती के साथ हुआ था जो राजा गाधि की पुत्री थीं. वह अपने पिता की इकलौती संतान थी.
ऐसे में महर्षि भृगु से अपने विवाह के उपरांत सत्यवती ने अपने पिता की संतान उत्पत्ति और अपने लिए भी योग्य संतान उत्पत्ति के लिए प्रार्थना की.
3 मई, 2022 को मंगलवार की सुबह 5:19 से तृतीया तिथि शुरू होगी जो 4 मई की सुबह 07:33 तक रहेगी.
ऐसे में इसी समय इस व्रत की शुरुआत की जाएगी. ऐसे में 3 मई को ही यह त्यौहार मनाया जाएगा.
भगवान परशुराम की पूजा का शुभ दिन यही होगा. 3 मई का दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ रहा है ऐसे में इस दिन मातंग नाम का शुभ योग बन रहा है. ऐसे में यह तिथि बेहद शुभ मानी जा रही है.
इस साल 3 मई को भगवान परशुरामजी की जयंती मनाई जा रही है. पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था.